जब आपके हाथों से दुनिया की रफ़्तार छूट रही हो, और सफ़र अपने अंदर, अपनी ही जानिब हो, आपका होना आपके कदमों तले जमा होने लगे , होना बेमक़सद हो जाए और जो होना चाहते हैं , वो नामालूम सी कसक सा पहरों पहर चुभता सा हो ,तो कैसी कैफियत होती है?? वैसी ही है !!
Thursday, November 23, 2023
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कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...
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~~क्वारन्टाइन में एक माँ~~ कौन सी नज़र, नज़र ए आख़िर थी ये उस चौखट के सीने मे धसी आखरी ख्वाइश सी बेताब नज़र की गवाही मे ...
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Until death... Am weaving red colour on my curves.... The silhouettes of me, come alive in palpitating nerves To kiss his ga...
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~~ उसके सांस लेते पाँव एक लड़ी की घुंघरू की पायल उसके गन्दुमि(गेहूँ रंग की ) पाँव से यूँ झूल रही थी जैसे गेहूँ की बाली के पोरों से सिह...
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