तेरी मुहब्बत ने बनाया है गुल-बदन
आ मेरे बदन की खुश्बू बाँट ले...
वो एक ख्वाब हसरतों के यतीम-खाने में
गवाँ दिया उसे हमने ही आज़माने में
नदी कशमकश मे रही समंदर की हमनवाई को
आह समंदर सूख गया फ़ासले मिटाने में....
यूँ बर्ग-ए-गुल उभरे है तह में सांसो के मेरी..
तेरी सांसो ने मेरे गेसुओं मे जब क़याम किया...
जैसे फिसली हो पहलू से हज़ार कलियाँ हमदम...
चूम कर निगाहों से तूने जब सलाम किया....
अपने उदास बाज़ू मेरी यादों से भरे रखना
रात की स्याही को सहर से परे रखना
पी लूँगा दर्द सारे तेरे फूल से गालो से
मुहब्बत मे मिले सारे यह ज़ख़्म हरे रखना
... छू लेने से उसके वल्लाह गुज़रेगी क़यामत क्या...
चंद धड़कने परेशान है हसरत-ए-विसाल की आगोश में
आ मेरे बदन की खुश्बू बाँट ले...
वो एक ख्वाब हसरतों के यतीम-खाने में
गवाँ दिया उसे हमने ही आज़माने में
नदी कशमकश मे रही समंदर की हमनवाई को
आह समंदर सूख गया फ़ासले मिटाने में....
यूँ बर्ग-ए-गुल उभरे है तह में सांसो के मेरी..
तेरी सांसो ने मेरे गेसुओं मे जब क़याम किया...
जैसे फिसली हो पहलू से हज़ार कलियाँ हमदम...
चूम कर निगाहों से तूने जब सलाम किया....
अपने उदास बाज़ू मेरी यादों से भरे रखना
रात की स्याही को सहर से परे रखना
पी लूँगा दर्द सारे तेरे फूल से गालो से
मुहब्बत मे मिले सारे यह ज़ख़्म हरे रखना
... छू लेने से उसके वल्लाह गुज़रेगी क़यामत क्या...
चंद धड़कने परेशान है हसरत-ए-विसाल की आगोश में