ख़ारिज ए दर्द ये उल्फ़त अगर हो जाए तो
दर्द में फिर दर्द की शिद्दत है क्या ये पूछिये!
ये पूछिये, हम तुममें खास क्या और आम क्या?
एक दूसरे में कौन कितना बाक़ी है ये पूछिये!!
कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...
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