**कि तेरे मेरे दरमियान **
कि तेरे मेरे दरमियान
ये जो पुकार का एक सिलसिला है
कि जब जब तेरी निगाह उठे
ये जो पुकार का एक सिलसिला है
कि जब जब तेरी निगाह उठे
मेरे वजूद का गोशा गोशा
लफ़्ज़ बन के तड़प उठता है
तेरी ख़मोशी में आवाज़ बन के
जी उठने के लिये....
लफ़्ज़ बन के तड़प उठता है
तेरी ख़मोशी में आवाज़ बन के
जी उठने के लिये....
बेतरतीब होती दड़कनें
बज़िद हो रगों में टूटती हैं
तेरे सीने में सासं बन के
धड़कने के लिये...
बज़िद हो रगों में टूटती हैं
तेरे सीने में सासं बन के
धड़कने के लिये...
कितने बोसे हैं दर्ज
तेरे नाज़ुक क़दमों की रहनुमाई को
तेरे हमराह
परछाईं बन के चलने के लिये....
तेरे नाज़ुक क़दमों की रहनुमाई को
तेरे हमराह
परछाईं बन के चलने के लिये....
Bosey: kiss
Rahnumai: guidance
Bazid: obstinate
Gosha: corner
Rahnumai: guidance
Bazid: obstinate
Gosha: corner
ख़ूबसूरत नज़्म !
ReplyDeleteLoved the 'introduction'!!
Thanks so much sir
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