Wednesday, May 14, 2014
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कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...
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Until death... Am weaving red colour on my curves.... The silhouettes of me, come alive in palpitating nerves To kiss his ga...
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~~मैं खुश्बू का क़ाफ़िला हूँ~~ मैं खुश्बू का क़ाफ़िला हूँ जो सरापा फूल बन जाते तुम्हारी ज़ूलफें अगर छूते कानों के ज़रा ऊपर ...
जिंदगी और मौत के बीच का सच ........
ReplyDeleteपिसता हुआ खुद का वजूद !!
Bahot shukriya MUkesh ji
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