Tuesday, March 4, 2014




तेरे मोमी क़दमो से टपकते हैं फूल खुश्बू की मानिंद
मैं झुक के चुनता जाता हूँ ........सजदे होते जाते हैं


चह्चहा रहें हैं बेकल जज़्बे पलकों की क़तारों पर
आके मिल नींदों के उस पार ख्वाबों के ठिकानों पर


अपने कुशादा सीने की गर्मी में उतार ले मुझको
सर्दियों की बारिश है..........और बेआसरा हूँ मैं

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