सच्चा एहसास
हो आँतों से लिपटी भूक
ऑर लबों से चिपकी प्यास
जन्नत लगे है छाँव भी
पानी की दो बूँद है ख़ास
तप्ता सूरज रोटी दिखे
बारिश बने आब-ए-हयात...
है जज़बो की शिद्दत बेमायने
जब खाली पड़े हो पयमाने,,,
जब जान सको अहमियत क़तरे की
जब ज़र्रे की क़ीमत पहचानो
फिर भी गर मुहब्बत आए रास
तब मानो यह सच्चा एहसास....
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