Saturday, February 8, 2014

4 line shayaris



बेवजह आँख नाम होने लगी है
पलकें भी सपने पिरोने लगी हैं
मुस्कुराया भी था तुझे सोच कर मे
क्या मुझे फिर से मुहब्बत होने लगी है...??




चंद खामोश लम्हे, तुझको पास बिठाना चाहता हूँ!
ए बचपन तेरी गोद में, वापस आना  चाहता हूँ!!
मिटा दे जो शिकन दिल की, महज़ कुछ खिलौनों से!
मासूमियत में डूबा, वही साल पुराना चाहता हू....!!


छलकता ही जाता रंग -ए -आफताब है
हया की लालियों मे सिमट रहा शबाब है..
बिखर रही है चाहत आज सुर्ख रंगो मे
मुहब्बत की ज़बान बोल उठा आज गुलाब है...





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