Wednesday, March 11, 2015


तुम्हारी एड़ियों से लिपटी
परछाईं को
इन निगाहों की धूप का
बोसा पहना कर
बारहा तुझको देखा किया मैने,
तेरी परछाईं में पिन्हां हैं
तेरे नाम पर धड़कती
मेरी धड़कनों का सुकूत,
मेरी निगाहों को
तेरे लम्स के पार
ग़ुज़रने दे
तेरी परछाईं जज़्ब कर
तुझको पाना
चाहता हूँ
मैं एक बार फ़िर
मुसकुराना चाहता हूँ...
लम्स: touch, chhuan
पिन्हां: embedded, doobi hui
सुकूत: silence, khamoshi 


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