Wednesday, May 14, 2014



2 comments:

  1. जिंदगी और मौत के बीच का सच ........
    पिसता हुआ खुद का वजूद !!

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  कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...