Thursday, April 23, 2020

दस्तूर ए ज़िंदान में
बा-दस्तूर परवाज़ है ।
बिला वजह बिला शुबह
पता है तेरे पांव का
है मरासिम शहर से गांव का
वैसे ही जैसे
विंडशील्ड पर गिरती बारिश
और
पीपल में भीगी छांव का ।
और
रिस रहें हैं अज़ल से दोनों आगोश ए ज़मीं में
ये छांव क्या वह पांव क्या ।
Zindaan- जेल, कैद
मरासिम- रिश्ता
अज़ल- eternity

  कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...