Monday, March 10, 2014






सुना है तुम सुकून के सौदागर हो
दिल का क़रार बेक़रार करते हो
तेरी जूस्तजू में नींदें गवाँ बैठे हम
गोया इश्क़ का बीमार करते हो
नज़र उठ कर पलटना भूल जाती है
तौबा तौबा निगाहों से वार करते हो
किस शौक से तबाह हुए तेरे हाथों
वल्लाह! क़त्ल भी ख़ुशगवार करते हो


हमने निचोड़ डाला दर्द- ओ -खून जिगर का लफ़्ज़ों मे अपने...
.................और वो बस "वाह वाह" कर के रह गाए...........


बादल बारीशों में बह गए
मेरे आँचल में सारे ढह गए
फिर भी खिले ना मुरझाए ख्वाब
बस हज़ार शिकवे रह गए..!!

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