Thursday, April 9, 2015
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कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...
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```````````````````````````````````````````````` तुम्हारी तस्वीर तुम्हारे भीगे बालो से पानी की बूंदे फिसल के तुम्हारे काँ...
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मुझे जुनून की हद के पार ले जाने को तेरी मुहब्बत का आगाज़ ही काफ़ी है. जो थपक दे मेरे रोते बिलखते दर्द को ऐसे सुकून को तेरा सीना...
Reading the lines was a great pleasure ,Maam.
ReplyDeletethank you manis
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