Wednesday, July 9, 2014

~Ghazal~~
ख्वाब हो के भी यह ज़िंदगी कोई ख्वाब नही
भुला दे दर्द-ए-इश्क़ ,ऐसी कोई शराब नहीं
तहलील कर के आँसुओं में तेरे इश्क़ की कसक
मान लेता हूँ तू हक़ीक़त है , कोई सराब नहीं
शोला-ए-बर्क़ चेहरे से तेरे , छलका करे है यूँ
रोकl करे कशिश तेरी , ऐसा कोई हिजाब नही
मेरी उलफत का तर्जुमा पूछ तिश्ना-लब से मेरे
ना दे सकें जवाब,  हम ऐसे भी लाजवाब नहीं..!!

saraab: mirage
hijab: veil
shola-e-barq: ray of lightening
tishna-lab: parched lips
tarjuma: translation
Tahleel: mixed
#drshaista


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