Tuesday, March 4, 2014
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कोई ख़ला जब माहौल में शोर के बीच बनी दरारों में बैठने लगती है , तो यूं लगता है, बेचैनी को शायद लम्हाती क़रार आने लगा है , शायद होंठ जब चुप...
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```````````````````````````````````````````````` तुम्हारी तस्वीर तुम्हारे भीगे बालो से पानी की बूंदे फिसल के तुम्हारे काँ...
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मुझे जुनून की हद के पार ले जाने को तेरी मुहब्बत का आगाज़ ही काफ़ी है. जो थपक दे मेरे रोते बिलखते दर्द को ऐसे सुकून को तेरा सीना...
Awesome :-)
ReplyDeleteThanks so very much Amrit:)
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