ज़िंदगी में लिपटी धूप ना दे
अपने बदन की परछाई दे दे
पहचान सके चेहरे पर चेहरा
आँखो को वो आशनाई दे दे
क्या होगी दुनिया की रौनक
दिल को थोड़ी रोश्नाई दे दे
करदे मेरी चाहत का फ़ैसला
फिर कशमकश से रिहाई दे दे
तेरे बाद कुछ और ना देखूं
आँखो को ऐसी बिनाई दे दे
अपने बदन की परछाई दे दे
पहचान सके चेहरे पर चेहरा
आँखो को वो आशनाई दे दे
क्या होगी दुनिया की रौनक
दिल को थोड़ी रोश्नाई दे दे
करदे मेरी चाहत का फ़ैसला
फिर कशमकश से रिहाई दे दे
तेरे बाद कुछ और ना देखूं
आँखो को ऐसी बिनाई दे दे
जी ले उस रोशनी में जो हिजाब से छन के आती है
यह वो कशिश है जो हया पहन के आती है............. shaista

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