Friday, May 2, 2014




पलकों पे रख के होंठ
तेरी नींदों मे घुल गई हूँ
हक़ीक़त के उस पार
ख्वाबों मे रूल गई हूँ
रिस रही हूँ तेरी जिल्द से
तेरे बदन के गोशे गोशे में
करके वज़ू आँसुओं से
तेरे इश्क़ मे धुल गई हूँ

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